Monday, July 16, 2012

...तो अरबों की परिसंपत्ति के बचेंगे सिर्फ अवशेष

धनबाद जिला परिषद की करोड़ों की परिसंपत्ति सड़ रही है। यह वही परिसंपत्ति है जिसे हाइकोर्ट के आदेश पर खाली करायी गयी थी। इनमें शहर का ऐतिहासिक कांग्रेस कार्यालय, मजदूर आंदोलन का प्रतीक माइकेल जान स्मृति भवन, कई आलीशान मार्केट कांप्लेक्स व क्लब शामिल हैं। इन सभी भवनों की पहचान शहर से जुड़ी है। इन परिसंपत्तियों को बचाने की तनिक चिंता न तो जिला परिषद की ब्यूरोक्रेसी को है और ना ही डेमोक्रेसी को। इस विषय पर अधिकारी व जनप्रतिनिधि सभी मौन साधे हुए हैं। क्या है मामला : राज्यभर में हाइकोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण हटाओ अभियान चला था। इसी के तहत पिछले साल 25 मार्च को कांग्रेस भवन, इंटक भवन, यूनियन क्लब, मंत्री मथुरा महतो व विधायक चंद्रशेखर दुबे के आवास, दर्जनों क्वार्टर, मार्केट कांप्लेक्स, आवास व भू-खंड को खाली कराकर सील कर दिया गया था। गलत तरीके से आवंटन के आरोप में इन्हें खाली कराया गया था। ताला तक नहीं खुला : इन भवनों को हाइकोर्ट के आदेश पर खाली कराया गया लेकिन परिसंपत्ति जिला परिषद की है। कई लोग फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में चले गए। भवनों के रखरखाव पर हाइकोर्ट ने कोई रोक नहीं लगाई है। ऐसा नहीं है कि इन भवनों के अंदर जाने पर परिषद के लोगों के खिलाफ कोई रोक लगी हुई है लेकिन सवा साल बाद भी एक भवन का जिला परिषद ने ताला तक नहीं खोला। नतीजा हुआ कि इन ऐतिहासिक भवनों की स्थिति जर्जर हो गयी। कुछ तो ध्वस्त होने की स्थिति में है। जिला परिषद चाहती तो भवनों की मरम्मत करा सकती थी। इसके लिए कभी किसी बैठक में आवाज नहीं उठी।

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