Friday, July 20, 2012
गरीबों को नहीं दे सकते चीनी तो बेच दें सचिवालय
रांची : झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य में दो वर्ष पूर्व बीपीएल परिवारों को अनुदानित दर पर चीनी नहीं देने के सरकार के फैसले पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि वह गरीबों को सस्ती दर पर चीनी नहीं दे सकती तो सचिवालय बेच दें। यह मौखिक टिप्पणी मुख्य न्यायाधीश प्रकाश टाटिया और न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने गुरुवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए की। मामला यह है कि रामनिवास प्रसाद ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर राज्य में गरीब परिवारों को सस्ती दर पर चीनी दिए जाने की मांग की है। इस मामले में राज्य सरकार की ओर से हलफनामा दायर कर बताया गया कि नवंबर 2010 में अस्थायी तौर पर चीनी वितरण बंद करने का निर्णय लिया गया था। कारण यह बताया गया कि पूर्व में केंद्र सरकार द्वारा राज्य को बिहार से चीनी लाने की अनुमति दी गई थी। उस वर्ष केंद्र ने यूपी और महाराष्ट्र की चीनी मिलों से चीनी लाकर वितरण करने को कहा। इसमें राज्य सरकार को वितरण मूल्य से अधिक लागत आ रही थी। चीनी वितरण का मूल्य 13.50 रुपये प्रति किलो निर्धारित था, जबकि महाराष्ट्र और यूपी से लाने में परिवहन और उत्पाद शुल्क मिलाकर यह लागत 23.34 रुपये हो जाती।
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