Thursday, July 19, 2012

नेहरू का सपना एक बार फिर साकार होने की आस बढ़ी

हर चौक-चौराहे पर सिंदरी के दिन पुन: बहुरने को लेकर हो रही चर्चा
सिंदरी में सेल का उर्वरक, स्टील और पावर प्लांट लगने का मामला ज्यों-ज्यों प्रशस्त हो रहा है। वैसे-वैसे सिंदरी वासियों के बीच आशा की किरण दिख रही है। सिंदरी वासी फूले नहीं समा रहे हैं। उक्त प्लंाट लगाने संबंधी कोई भी अधिकारी या टीम जांच करने पहुंचते हैं तो सिंदरी वासी उस दिन होली और दीपावली मनाने लगते हैें। हर चौक-चौराहे पर यही चर्चा होने लगती है कि अब सिंदरी का पुन: दिन बहुरने वाला है। उस काली रात को भी याद कर सहम जाते हैं कि जिस दिन नितिगत रूप से सिंदरी एफसीआईएल को बंद करने की घोषणा कर दी गई थी। इस मामले पर एक नजर डाले तो देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस कारखाना की स्थापना की थी। 1951 में उत्पादन शुरू हुआ। 2002 के पांच सितम्बर को नीतिगत रूप से बंद करने की घोषणा की गई तथा 31 दिसम्बर 2002 को पूर्ण रूप से बंद करने की घोषणा हुई।

यूपीए सरकार बनने के बाद जगी आस
2004 में केन्द्र में यूपीए की सरकार बनी। उस समय धनबाद से सांसद के रूप में चन्द्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में जीत कर गये थे। उन्होंने सिंदरी की सभा में सर्वप्रथम घोषणा की थी कि सिंदरी एफसीआईएल को हर हाल में खुलवाया जायेगा। तब तक मामला बीआईएफआर से दिल्ली हाई कोर्ट में जा चुका थी। केन्द्र सरक ार ने बराबर न्यायालय में हाजिरी लगाती रही। केन्द्र सरकार सिंदरी सहित गोरखपुर, रामागुंडम, ताल्चर आदि को खोलने की बात करती रही।

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