Thursday, July 19, 2012

बीमारी की सौगात बांट रहा है गुटखा

अविलंब लगाए सरकार प्रतिबंध
गुटखा बीमारी की सौगात बांट रहा है। फिर भी इसके सेवन से लोग बाज नहीं आ रहे हैं। हर चौक-चौराहे पर इसकी बिक्री हो रही है। इसके खरीदार भी हजारों में हैं। 55 साल के बुजुर्ग से लेकर 15 वर्ष के किशोर तक गुटखा के शौकीन हैं। शुरुआत में तो लोग इसे फैशन के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। बाद में यही गुटखा इनकी कमजोरी बन जाती है। गुटखा ऐसे लोगों को अपना गुलाम बना लेती है। सुबह बिस्तर से उठते ही ऐसे लोगों को गुटखा की तलब बेचैन कर देती है। जब तक मुंह में गुटखा जाता नहीं है, इन्हें चैन नहीं आता है। आदत से लाचार ऐसे लोग दिन भर में 20 से 25 पाकेट गुटखा चबा जाते हैं। गुटखा को प्रतिबंधित करने के लिए दैनिक भास्कर ने जो अभियान शुरू किया है। आमजनों ने स्वागत किया है और झारखंड सरकार से अन्य प्रदेशों की तरह झारखंड में भी इसे प्रतिबंधित करने की मांग की है।

गुटखा से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी होती है। यह सेहत के लिए हानिकारक है। इसके सेवन से कई घरों का चिराग बुझ चुका है। तत्काल इसे प्रतिबंधित करना चाहिए।'ञ्जञ्ज विद्यावती कुमारी, शिक्षिका
गुटखा धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाता है। यह कई बीमारियों को जन्म देता है। जब तक लोगों को इस बीमारी का नुकसान पता चलता है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है। इस पर प्रतिबंधन लगे।ञ्जञ्ज पारूल रजक, शिक्षिका
गुटखा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ओरल कैंसर की संभावना 70 से 80 प्रतिशत रहती है। गुटखा मीठा जहर की तरह हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है।ञ्जञ्ज

बाला लाल, न्यूट्रीशियन।
गुटखा धीमा जहर है, जो आज के युवा वर्ग को जकड़ कर रखा है। इसके आदि हो चुके लोग न सिर्फ मौत को आमंत्रित कर रहे हैं, बल्कि पर्यावरण को भी प्रदूषित कर रहे हैं। इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए।ञ्जञ्ज दिलीप कुमार, शिक्षक
गुटखा पर तत्काल प्रतिबंध लगना चाहिए। सरकार की देरी समझ से परे है। जब बिहार, केरला और महाराष्ट्र जैसे राज्य प्रतिबंध लगा चुके हैं, तो हमारे यहां क्यों नहीं? गुटखा से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होती है। जो हमारी युवा पीढ़ी को मौत के मुंह में ले जा रही है। ञ्जञ्ज बिनय मोहन अंबष्ठ, अधिवक्ता।

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