Saturday, June 30, 2012

ट्रांसफार्मर घोटाले में प्राथमिकी दर्ज

रांची : विद्युत बोर्ड ने वैसी कंपनी को ट्रांसफार्मर लगाने का ठेका दे दिया जिसे पहले से ही दो राज्यों ने ब्लैक लिस्टेड किया हुआ था। काम देने का अंजाम भी सामने आया, ट्रांसफार्मर जहां लगा जल्दी ही जल गया। सीबीआइ की जांच में इसका खुलासा हुआ है। मामले में सीबीआइ पशुपालन कोषांग ने शुक्रवार को प्राथमिकी दर्ज की है। इसमें विद्युत विभाग के जीएम स्टोर एंड परचेज सियावर सिंह और ट्रांसफार्मर सप्लायर कंपनी इस्ट इंडिया उद्योग, गाजियाबाद को आरोपी बनाया गया है। मामले में सीबीआइ के अधिकारी ने बताया कि विद्युत बोर्ड ने दिसंबर 2011 से मार्च 2012 के बीच संबंधित कंपनी से 5 एमवीए (मेगा वोल्ट एंपियर) का 44 यूनिट ट्रांसफार्मर और 10 एमवीए का 19 यूनिट ट्रांसफार्मर खरीदा। इसके एवज में बोर्ड ने ट्रांसफार्मर सप्लायर कंपनी इस्ट इंडिया उद्योग को 16 करोड़ रुपये भुगतान किए। अधिकारी ने कहा कि यह जानते हुए भी कि इस्ट इंडिया को उसके काले कारनामे को ले पहले ही पंजाब और मध्यप्रदेश सरकार ने ब्लैक लिस्टेड किया हुआ है, जीएम सियावर सिंह ने काम दे दिया। संबंधित कंपनी ने घटिया ट्रांसफार्मर सप्लाई की। सभी ट्रांसफार्मर धनबाद क्षेत्र में लगाए गए, जो कुछ दिनों में ही जल गए। जांच में सामने आसा है कि इसमें पैसे का भी खेल हुआ है। पिछले दिनों सीबीआइ ने घोटाले में प्राथमिकी दर्ज करने को ले हाई कोर्ट से आदेश मांगा था।

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