इलाज से इन्कार आपराधिक कृत्य, चलाया जाना चाहिए हत्या का मुकदमा : हाई कोर्ट
रांची : झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आलोक सिंह ने डॉक्टरों की हड़ताल पर सख्त रुख अख्तियार करते हुए इसे राष्ट्रविरोधी करार दिया है। सोमवार को राज्य के चिकित्सकों की हड़ताल के संबंध में मीडिया रिपोर्टो पर जस्टिस सिंह ने कहा कि हड़ताल के कारण कई मरीजों की मौत के लिए डॉक्टर दोषी हैं। उनपर हत्या का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। डॉक्टरों की हड़ताल एमसीआइ के नियमों का उल्लंघन है। डॉक्टर इलाज करने से इन्कार नहीं कर सकते। सेवा प्रारंभ करने के पूर्व सभी डॉक्टर शपथ लेते हैं कि वे मरीजों का इलाज हर हाल में करेंगे। हड़ताल उस शपथ का भी उल्लंघन है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, राज्य के मुख्य सचिव, प्रधान सचिव-स्वास्थ्य और निदेशक रिम्स को नोटिस जारी कर जस्टिस सिंह ने कई सवाल किए हैं। उनसे पूछा गया है कि डॉक्टरों की हड़ताल के कारण राज्य में कितने मरीजों की मौत हुई है? कितने ऑपरेशन टाले गए? सरकारी अस्पतालों में कितने मरीजों का इलाज किया गया? कौन-कौन से और कितने डॉक्टरों ने हड़ताल के कारण काम नहीं किया? सरकार ने इससे निपटने की कौन-कौन सी तैयारी की थी? इनके खिलाफ क्यों नहीं राष्ट्रविरोधी कार्य और हत्या का मुकदमा चलाया जाए? यह भी सवाल किया कि हड़ताल पर गए डॉक्टरों का लाइसेंस क्यों नहीं रद कर दिया जाए? कोर्ट ने राज्य की ओर से महाधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा, केंद्र की ओर से अधिवक्ता मोख्तार खान और रिम्स की ओर से वरीय अधिवक्ता सोहैल अनवर को नोटिस की प्रति प्राप्त करने का निर्देश दिया। जस्टिस सिंह ने हाई कोर्ट के नियमों के अनुसार मामले को जनहित याचिका में तब्दील करने का निर्देश भी दिया है। विदित हो कि दैनिक जागरण सहित कई अखबारों ने डॅाक्टरों की हड़ताल के कारण प्रदेश में चिकित्सा सेवा ठप होने और इलाज के अभाव में तड़पते मरीजों की व्यथा-कथा प्रमुखता से प्रकाशित की थी। अगली सुनवाई 12 जुलाई के लिए निर्धारित की गई है।
No comments:
Post a Comment