Saturday, July 7, 2012
धनबाद में लोकप्रिय हो रहा वुशू
बरमसिया मैदान में मौजूद तकरीबन 70 लड़के-लड़कियों को प्रशिक्षक महावीर महतो ताउलु अैार सांसाओ का प्रशिक्षण दे रहे हैं। बरमसिया मैदान में वुशू प्रशिक्षण का ऐसा परिदृश्य हर मंगलवार, गुरुवार और रविवार को दिखता है। भूदा, बरमसिया, ढोकरा, मनईटांड़ आदि इलाके से पांच से 18 वर्ष तक के दर्जनों लड़के-लड़कियां यहां वुशू सीखने पहुंचते हैं। धनबाद में वुशू की शुरुआत 2003 में हुई। मात्र नौ साल के अंदर यह खेल खासा लोकप्रिय हो चुका है। शुरुआती दिनों में करीब तीस बच्चे वुशू से जुडे़ थे। अभी उनकी संख्या तीन हजार तक पहुंच चुकी है। आज शहर में वुशू के 19 क्लब हैं और डेढ़ दर्जन स्कूलों में इसे खेला जा रहा है। वुशू धनबाद को अभी तक पांच राष्ट्रीय पदक दे चुका है। संसाधन का अभाव बना अड़ंगा : लोकप्रिय होने के बावजूद संसाधन का अभाव वुशू की प्रगति में रोड़ा बना हुआ है। धनबाद जिला वुशू संघ के सचिव शशिकांत के मुताबिक धनबाद पब्लिक स्कूल को छोड़ जिले में कहीं भी मैट की व्यवस्था नहीं है। बच्चे खुले मैदान में प्रैक्टिस करते हैं। इससे प्रदर्शन पर असर पड़ता है। अगर यहां बेहतर संसाधन उपलब्ध हो तो धनबाद वुशू का उत्कृष्ट खिलाड़ी देने का दम रखता है, क्योंकि यहां प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। एक युद्धकला है वुशू : शशिकांत ने कहा कि वुशू चाइनीज मार्शल आर्ट है, एक तरह का युद्ध कौशल। यह सांसाओ और ताउलु में बंटा है। सांसाओ फाइट इवेंट जबकि ताउलु अभ्यास है। सांसाओ जूडो, बॉक्सिंग और कुश्ती का मिलाजुला रूप है। ताउलु जिमनास्टिक, कसरत व नृत्य का मिश्रण है। धनबाद में धनंजय, दीपक, एरिना, सरीन, मोनू, आकाश और गोपाल वर्मा ताउलु के खिलाड़ी हैं जबकि प्रीति महतो, कुसुम महतो, रेवती, अनु और पायल सांसाओ की खिलाड़ी हैं।
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