Friday, July 6, 2012

यहां मना है हिन्दी-अंग्रेजी पढ़ना!

श्रवण कुमार,लोदना मास्टर साहब नहीं है तो पास पास कैसे करेंगे? यह सवाल है लोदना कोलियरी उच्च विद्यालय में पढ़नेवाले विद्यार्थियों का। कारण, यहां कई विषयों की पढ़ाई शिक्षक की कमी के कारण नहीं हो रही है। अभिभावक भी अपने बच्चों के भविष्य के प्रति चिंतित हैं। यह दीगर है कि सरकार शिक्षा विकास के नाम पर दावे खूब करती है, लेकिन जमीनी हकीकत तो कुछ और ही बयां कर रही है। यह स्कूल काफी पुराना है। कभी बेहतर शिक्षा के लिए प्रसिद्ध इस स्कूल की स्थापना 4 जनवरी,1957 को हुई। फिलहाल यहां नवम व दशम वर्ग की यहां पढ़ाई होती है। विद्यालय में 568 छात्रों पर चार शिक्षक हंै। स्कूल में मात्र गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, उर्दू व संस्कृत की पढ़ाई होती है। मातृ भाषा हिंदी, अंग्रेजी, भूगोल, नागरिक शस्त्र, जीव विज्ञान की पढ़ाई नहीं होती है। इन विषयों के शिक्षक यहां नहीं है। एक बेंच पर छह बच्चे : सरकारी स्कूल की व्यवस्था ऐसी है कि एक बेंच पर छह विद्यार्थी को बैठना पड़ रहा है। शिक्षकों की घोर कमी के कारण भी यह स्थिति है, क्योंकि जहां शिक्षक पढ़ाना शुरू करते हैं सभी बच्चे वहीं पहुंचते हैं। हालांकि स्कूल में करीब कमरे हैं।

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