मानव संसाधन विकास मंत्री बैद्यनाथ राम और जैक अध्यक्ष लक्ष्मी सिंह के बीच तू-तू मैं-मैं जारी है। मंत्री जहां जैक अध्यक्ष पर मनमाना रवैया अपनाने का आरोप लगा रहे हैं, वहीं जैक अध्यक्ष को मंत्री के अनावश्यक हस्तक्षेप से परेशानी हो रही है। मंत्री ने टिप्पणी की है कि जैक अध्यक्ष कोई पान दुकान नहीं चला रही हैं, जो नफा-नुकसान की बात करें तो अध्यक्ष का कहना है किशिक्षक नियुक्ति परीक्षा अंतिम समय में स्थगित करने पर जैक को जो 50 लाख रुपये का नुकसान हुआ उसे विभाग को देना ही होगा, क्योंकि ये पैसे गरीब छात्रों के थे। दोनों से दैनिक जागरण ब्यूरो के नीरज अम्बष्ठ ने दो टूक बात की।
कोई बिजनेस नहीं जो जैक सोचे नफा-नुकसान : बैद्यनाथ जैक अध्यक्ष का कहना है कि शिक्षक परीक्षा स्थगित करने से जैक को हुए 50 लाख रुपये के नुकसान की भरपाई विभाग को करना होगा। क्या आप ऐसा करेंगे? जैक अध्यक्ष लक्ष्मी सिंह कोई पान-दुकान नहीं चला रहीं। नफा-नुकसान सोचने का काम उनका नहीं है। यह बिजनेस संस्थान नहीं है। जैक अध्यक्ष बिजनेस करने के लिए काम रही हैं क्या? यह सरकारी संस्थान है। छात्र हित में करोड़ों रुपये का नुकसान सहा जा सकता है। सरकार और जैक छात्रों के हित के लिए ही तो काम कर रहे हैं। जैक द्वारा विभाग से पैसे की मांग किया जाना बिल्कुल गलत है। जैक अध्यक्ष को ये पैसे मांगने का अधिकार किसने दिया? छात्रों के हित से बड़ा जैक नहीं। जैक अध्यक्ष विभाग पर बार-बार सभी परीक्षाओं में विवाद खड़ा करने का आरोप लगा रही हैं..? शिक्षा विभाग जैक का मातृ विभाग है। इसलिए जैक को विभाग के हर निर्देश का पालन करना ही होगा। ऐसा नहीं करने पर चलने नहीं दिया जाएगा।
फूटी कौड़ी भी न देनेवाला कैसे ऐसा कह सकता : लक्ष्मी शिक्षा मंत्री का कहना है कि जैक कोई पान दुकान नहीं जो नफा-नुकसान की बात सोचे। आप क्या कहेंगी? यह मंत्री की अपनी सोच हो सकती है। सरकार तो जैक को एक पैसा नहीं देती। एक पैसा नहीं देनेवाले मंत्री आखिर ऐसा कैसे सोच सकते हैं? वे यह भूल गए किहम परीक्षाएं छात्रों के पैसे से आयोजित करते हैं। गरीब छात्रों के पैसे से। जैक का जो भी पैसा है, गरीब छात्रों के मां-बाप का पैसा है। सारी तैयारी होने के बावजूद अंतिम समय में शिक्षक नियुक्ति परीक्षा स्थगित करने से जो 50 लाख रुपये का नुकसान हुआ, वह गरीब छात्रों का ही था। ऐसे में छात्र हित में परीक्षा स्थगित करने की बात भला कैसे सही हो सकती है? आपने पैसे देने को लेकर विभाग को पत्र लिखा था। विभाग द्वारा कोई कार्रवाई हुई? विभाग से जैक को कोई भी जवाब नहीं मिला है। हम अब भी जवाब का इंतजार कर रहे हैं। ये पैसे गरीब छात्रों के थे, जिसे विभाग को देने ही होंगे।
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