Thursday, July 5, 2012

अदालत में पेशी को मजाक बनाया, जवान जुटे कैदियों की जी हुजूरी में

बंदी आगे-आगे और पुलिसवाले पीछे-पीछे। कौन किसे ले जा रहा है, बताना मुश्किल है। पेशी के पहले कोर्ट हाजत में रखने के बजाय बंदी को खुले में बिठाए हैं पुलिसवाले।
बंदी आराम से होटलबाजी कर रहा है और पुलिस उसके खाना खत्म होने का इंतजार। हाथ में कोल्डड्रिंक है। बताने की जरूरत नहीं की भुगतान कौन कर रहा होगा। सभी फोटो अजय मिश्रा की बंदी को शर्म, पर पुलिस को नहीं। बंदी की सेवा में दो पुलिस वाले लगे हुए हैं। वह खा रहा है और दोनों पुलिसवाले उसकी सेवा में लगे हैं। पूछ-पूछ कर बंदी को खिला रहे हैं। मीडिया से भी पूरी तरह बेपरवाह। कैदी के हाथ की हथकड़ी लाल घेरे में। जेल से कोर्ट में पेशी के दौरान बंदियों को किसी होटल, ढाबे, ठेले या कहीं खाना खिलाना नियमत: गलत है। नियम कहता है कि पेशी के दौरान बंदी को जेल से कोर्ट हाजत लाया जाएगा। वहां से उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा और फिर कोर्ट हाजत लाकर जेल वापस भेज दिया जाएगा। धनबाद पुलिस खुद को इस नियम से परे मानती है। कुछ रुपयों के लोभ में पुलिसकर्मी बंदियों को पेशी के दौरान होटलों का सैर कराते हैं। उनके साथ कोल्ड ड्रिंक्स पीते हैं और खाना भी खाते हैं। उन्हें किसी से भी मिलने की आजादी देते हैं। पुलिस की इस कार्यशैली से कई बार बंदी फरार भी हो चुके हैं। पेशी के दौरान पिछले दिनों गुड्डू शुक्ला का भाग जाना इसी का एक उदाहरण है।

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