Friday, July 6, 2012

सच से मुकरा पाकिस्तान

नई दिल्ली : आतंकवाद पर जारी मतभेदों के बीच भारत और पाकिस्तान के विदेश सचिवों की बातचीत बिना किसी ठोस नतीजे के खत्म हो गई। लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी अबू जुंदाल के खुलासों और भारत की ओर से पेश दलीलों को ठुकराते हुए पाकिस्तान ने मुंबई हमले में अपनी किसी भी एजेंसी की भूमिका को सिरे से नकार दिया। वार्ता के बाद भारत ने दो-टूक कहा कि 26/11 हमले के गुनहगारों को सजा ही विश्वास बहाली का सबसे बड़ा उपाय होगा। हालांकि तय हुआ कि दोनों मुल्कों के विदेश मंत्री सितंबर में इस्लामाबाद में मिलेंगे। विदेश मंत्री एसएम कृष्णा के मुताबिक वह सितंबर के पहले पखवाड़े में इस्लामाबाद जाएंगे। सियाचिन, सरक्रीक जैसे मुद्दों पर उठे गतिरोध के बाद 4-5 जुलाई को हुई विदेश सचिव स्तर वार्ता में आतंकवाद और जुंदाल का मुद्दा मुख्य केंद्र रहा। पाकिस्तान खेमे ने जुंदाल पर भारत की ओर से सामने रखी गई सूचनाओं के जवाब में सारे सुबूत साझा करने की मांग की। साथ ही संयुक्त जांच की पेशकश भी की। हालांकि भारत ने पाकिस्तान के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। वार्ता के बाद साझा प्रेस कांफ्रेंस में विदेश सचिव रंजन मथाई ने कहा कि मई 2012 में हुई गृह सचिव स्तर की बातचीत में मुंबई हमले के आरोपियों के खिलाफ काफी सूचनाएं व सुबूत दिए जा चुके हैं। अबू जुंदाल की गिरफ्तारी ने इन साजिशकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की जरूरत को और बढ़ा दिया है। सूत्रों के मुताबिक भारत ने पड़ोसी देश के प्रतिनिधिमंडल को नए दस्तावेजी सुबूत तो नहीं दिए, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि पहले दी गई सूचनाओं पर कार्रवाई करे। भारत ने लाहौर की जेल में बंद सरबजीत की रिहाई का मुद्दा भी उठाया। पाकिस्तान के विदेश सचिव जलील अब्बास जिलानी के साथ मंच साझा कर रहे मथाई ने कहा कि मुंबई हमले के दोषियों को सजा दिलाना विश्वास बढ़ाने के लिए सबसे बड़ा उपाय होगा।

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