Tuesday, July 17, 2012

एसपी को छह, डीआइजी को 4000 घूस

कोयले की कमाई में सिपाही से अधिकारी तक शामिल, लोकायुक्त के आदेश पर हुई जांच में खुलासा

रांची : कोयले के काले खेल में पुलिस किस तरह शामिल है, इसका खुलासा लोकायुक्त अमरेश्वर सहाय के आदेश पर निगरानी ब्यूरो की जांच में हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बोकारो के कोल माफिया प्रति ट्रक 20 हजार रुपये पुलिस वालों को देते थे। इसमें थाने से लेकर डीआइजी तक का कमीशन तय है। सबसे अधिक कमीशन थाना व ओपी प्रभारी को 8 हजार, इसके बाद एसपी को छह हजार, डीआइजी को चार हजार व थाना व ओपी कर्मियों के बीच दो हजार कमीशन बंटते थे। इस मामले में बोकारो जिले के विभिन्न थानों में पदस्थापित रहे चार थाना प्रभारियों को अभी तक की जांच में दोषी पाया गया है। चारों के खिलाफ लोकायुक्त अमरेश्वर सहाय ने गृह सचिव को विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया है। यह जांच करने को भी कहा है कि अवैध कोयले के कारोबार में कौन-कौन बड़े पुलिस पदाधिकारी लिप्त हैं। इसकी जांच कर गृह सचिव तीन माह में रिपोर्ट दाखिल करें। लोकायुक्त के सचिव आरके जुमनानी ने सोमवार को बताया कि 2008 में बोकारो के मृत्युंजय शर्मा ने चार थाना प्रभारियों के खिलाफ कोल कारोबारी से पैसे लेकर अवैध कोयले के कारोबार को चलने देने की शिकायत की थी। इसकी जांच निगरानी ब्यूरो से कराई गई थी। जांच रिपोर्ट के आधार पर लोकायुक्त ने डीजीपी से कार्रवाई प्रतिवेदन देने को कहा था। डीजीपी ने निगरानी जांच रिपोर्ट को आगे की जांच के लिए सीआइडी को दे दिया। सीआइडी जांच में बोकारो जिले के चार दोषी थाना प्रभारी की पहचान की गई है। थाना प्रभारी का भाई भी अवैध कारोबार में संलिप्त : जांच रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि उक्त थाना क्षेत्रों में कोल कारोबारी अनिल गोयल, प्रदीप खवास व अजय महथा कोयले के अवैध कारोबार में शामिल हैं। इन लोगों के साथ चास मुफस्सिल थाना प्रभारी रहे संजय कुमार का भाई भी अवैध कोयले के कारोबार में शामिल था। बोकारो से बंगाल जाता था कोयला : कोल माफिया प्रतिदिन करीब 3 हजार साइकिल से विभिन्न क्षेत्रों से एक स्थान पर कोयला एकत्र करवाते थे। फिर वहां से ट्रक से कोयला को पुलिस के सहयोग से पश्चिम बंगाल भेज दिया जाता था।

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