Wednesday, June 27, 2012

कोयले की चाहत, कई बस्तियां आहत

झरिया आशियाना उजड़ने का दर्द क्या होता है, यह उनलोगों से पूछिए जो इसे भोग रहे हैं। सिर्फ एक घर नहीं बल्कि जीवन-यापन के साधन, जिंदगी के सामाजिक रिश्ते व जिंदगी के तमाम ख्वाब भी उजड़ जाते हैं। धनबाद कोयलांचल में हाल के दिनों में आग, भू-धंसान, गैस रिसाव और परियोजनाओं के विस्तारीकरण के चलते विस्थापन बड़ी समस्या बन कर उभरी है। यहां की कई बस्तियां उजड़ीं हैं और लोगों को अन्यत्र जाना पड़ा है। कई की तकदीर में बार-बार उजड़ना लिखा है। ताजा मामला भौंरा पांच नंबर का है। यहां के कई परिवारों को आउटसोर्सिग से उत्पादन कराने के लिये अन्यत्र जाने का प्रबंधन ने अल्टीमेटम दिया है। चलिये पहाड़पुर की बात करते हैं। परसियाबाद आउटसोर्सिग परियोजना के विस्तारीकरण के कारण इस बस्ती को वर्ष 11 में उजड़ना पड़ा। यहां के तीस परिवारों को पलायन का जख्म सहना पड़ा। ईजे एरिया भौंरा में विस्थापन की समस्या 1932 में पहली बार शुरू हुई थी। तब आग के कारण भौंरा के कुछ परिवारों को हटना पड़ा था।

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