Saturday, June 30, 2012

आर्थिक भारत

गार पर नया विवाद

नई दिल्ली : गार खत्म होगा या नहीं यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन इसको लेकर पीएमओ और वित्त मंत्रालय के अफसरों बीच एक नया विवाद शुरू हो गया है। वित्त मंत्रालय ने गुरुवार देर रात में विदेशी निवेशकों और कॉरपोरेट जगत के लिए भय का कारण बन चुके जनरल एंटी-टैक्स एवॉयडेंस रूल्स (गार) के प्रस्तावित नियम जारी किए थे। शुक्रवार को सुबह प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान जारी कर इन नियमों की वैधता पर सवाल उठा दिए। पीएमओ के मुताबिक वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अभी इन नियमों को देखा ही नहीं है। साथ ही पीएमओ ने यह भी साफ कर दिया है कि इस बारे में अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री विचार-विमर्श के बाद करेंगे। वित्त मंत्रालय ने पीएमओ के बयान को एक सामान्य बात बताया है। इसके उलट जानकारों का कहना है कि इससे यह संकेत देने की कोशिश की गई है कि महत्वपूर्ण आर्थिक मुद्दों पर फैसला कौन करेगा? वित्त सचिव आरएस गुजराल ने बताया कि अभी तो सिर्फ प्रस्ताव तैयार किया गया है। अंतिम फैसला तो पीएम ही करेंगे। प्रधानमंत्री इस बाबत निर्णय कर सकते हैं। गार से संबंधित सभी पक्षों से प्रस्तावित नियमों पर 20 जुलाई, 2012 तक टिप्पणी करने को कहा गया है। पीएमओ का यह बयान विदेशी निवेशकों को एक सकारात्मक संदेश देता है। मूल रूप से गार के जो कठिन नियम तैयार किए गए थे, उन्हें प्रस्तावित दिशानिर्देशों में काफी हद तक नरम कर दिया गया है। मसलन, सिर्फ एक अप्रैल, 2013 के बाद के कर अपवंचन के मामलों में ही इसे लागू किया जाएगा। साथ ही परोक्ष तौर पर भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने वाले विदेशी संस्थागत निवेशकों को लेकर भी सरकार नरम रवैया अपना सकती है।

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