आकाशकिनारी ओरिएंटल आउटसोर्सिंग के एजीएम मुकेश चंदानी पर शनिवार को हुए कातिलाना हमले के बाद पुलिस ने उचित कार्रवाई नहीं की। यह आरोप खुद एजीएम मुकेश चंदानी ने लगाया है। मुकेश चंदानी ने अस्पताल में पुलिस को दिए बयान में आरोप लगाया था कि मारपीट के दौरान हमलावर कह रहे थे कि विधायक जी से पंगा लोगे तो जान से हाथ धोना पड़ेगा। विधायक ढुलू ने समर्थकों हत्या के लिए उकसाया, फिर भी उन्हें केस में आरोपी नहीं बनाया गया।
मुकेश चंदानी ने कहा कि घटना से पहले विधायक ने फोन पर और सर्किट हाउस बुलाकर धमकियां दी थीं। इसकी जानकारी डीसी, एसएसपी और सीएम को पत्र लिखा गया था। प्रशासन और पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की इसलिए उन पर हमला करा दिया गया। विधायक के दबाव में पुलिस ने हमलावरों को बचाने के लिए कमजोर धाराओं में केस किया। जानलेवा हमले तक की धारा नहीं लगाई गई। घटना के 36 घंटे बाद भी एक भी हमलावर को पुलिस नहीं पकड़ सकी। मुकेश के फर्दबयान पर पुलिस ने कतरास थाना में शनिवार को छह आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
सुरक्षा मिलने तक आउटसोर्सिंग बंद रखने की घोषणा
घटना के बाद से आउटसोर्सिंग का काम बंद है। वहां सन्नाटा पसरा रहा। मुकेश चंदानी ने बताया कि प्रशासन और पुलिस जब तक ठोस सुरक्षा मुहैया नहीं कराती तब तक आकाशकिनारी आउटसोर्सिंग में काम शुरू नहीं किया जाएगा। झारखंड के बाहर के कर्मचारी इस घटना से दहशत में हैं। सभी काम छोड़ कर भागने को तैयार हैं। पुलिस के साथ-साथ सीआईएसएफ से भी सहयोग नहीं मिल रहा है। इस परिस्थिति में काम करना मुश्किल है।
एजीएम के खिलाफ केस करने का बना रहे दबाव
मुकेश चंदानी पर हमले के बाद मजदूरों की ओर से संजय भूइंया ने कतरास थाने में आवेदन देकर एजीएम पर जाति सूचक शब्द कह कर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। पुलिस संजय के आवेदन की छानबीन कर रही है। पुलिस पर केस करने का दबाव बनाने के लिए 100 की संख्या में विधायक समर्थक कतरास थाना पहुंचे थे। लेकिन पुलिस छानबीन के बाद केस दर्ज करने की बात कह रही है।
फ्लैश बैक
शनिवार की सुबह एजीएम पर ईस्ट कतरास स्थित आउटसोर्सिंग के दफ्तर में हमला बोला गया था। ढुलू महतो के समर्थकों ने मारपीट कर एजीएम का पैर तोड़ दिया था। समर्थक एजीएम को जान से मारने पर उतारू थे। मुकेश चंदानी के बयान पर पुलिस ने मनोज यादव, मैरू महतो, शक्ति यादव, विजय यादव, नरेश यादव और बाल्मिकी यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। बेरहमी से पिटाई के बावजूद पुलिस ने आईपीसी की धारा 307 नहीं लगाई।
No comments:
Post a Comment