Thursday, July 19, 2012

फिर विकराल रूप दिखाएगी महंगाई

नई दिल्ली : महंगाई फिर बेलगाम होने की तरफ बढ़ चली है। कच्चे तेल के दामों में फिर से उबाल, रुपये की कमजोरी और मानसून की देरी मिलकर महंगाई पर काबू पाने की सरकारी मंशा पर इस साल भी पानी फेर सकती हैं। थोक और खुदरा कीमतों पर आधारित महंगाई की दरें जून, 2012 में भी 10 फीसद से ऊपर बनी रहीं। ऐसे में इस महीने ब्याज दरों में कमी की उम्मीद लगाए लोगों और उद्योग जगत को निराशा हाथ लग सकती है। आम जनता की चिंता बढ़ाने को इतना ही काफी था। ऊपर से कृषि मंत्री शरद पवार ने चारे में कमी के बहाने दूध के दामों में और वृद्धि के संकेत दे दिए हैं। सरकार की तरफ से बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक खुदरा मूल्य आधारित महंगाई की दर जून में 10.02 फीसद रही। इसके पिछले महीने यह 10.36 फीसद थी। इस दौरान सब्जियों की खुदरा कीमत में 27.60, खाद्य तेलों में 16.58 और दुग्ध उत्पादों में 12.75 फीसद की वृद्धि हुई है। जानकारों का कहना है कि इन तीनों उत्पादों के दामों में हाल-फिलहाल नरमी के आसार नहीं हैं। कुल महंगाई में इनकी हिस्सेदारी 27 फीसद है। इन आंकड़ों के अलावा भी कई अन्य वजहें हैं जो संकेत दे रही हैं कि आने वाले दिनों में महंगाई का विकराल रूप फिर देखने को मिल सकता है। कच्चा तेल एक महीने के अंतराल पर फिर 100 डॉलर का स्तर पार कर गया। बुधवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसके दाम 104 डॉलर प्रति बैरल रहे। इस वजह से तेल कंपनियां जून के अंत में पेट्रोल को महंगा कर सकती हैं। सरकार पहले ही डीजल को महंगा करने की तैयारी में है। इसकी घोषणा राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद होने के आसार हैं। क्रूड महंगा होने से तेल कंपनियों को डीजल पर होने वाली संभावित हानि (अंडररिकवरी) 6.70 रुपये से बढ़कर 10.40 रुपये प्रति लीटर हो गई है। रसोई गैस और केरोसीन पर भी अंडररिकवरी बढ़ गई है। पेट्रोल और डीजल के महंगा होने का असर भी महंगाई दर पर पड़ेगा। मानसून में देरी की खबर पक्की होने के बाद वैसे ही सरकार महंगाई प्रबंधन को लेकर खासी उधेड़बुन में है। पिछले दिनों केंद्र सरकार ने राज्यों से सूखा आपदा प्रबंधन को लेकर सतर्क रहने की चेतावनी भी दे डाली है। पवार ने तो परोक्ष तौर पर दूध महंगा होने के संकेत भी दे दिए हैं। उन्होंने बुधवार को कहा कि बारिश में कमी से इस साल चारा उत्पादन 40 फीसद घटेगा। चारे के इस संकट से दूध उत्पादन में कमी आएगी। नतीजतन दूध कीमतों में और बढ़ोतरी की संभावना है। कच्चे तेल के अलावा महंगाई बढ़ाने की कुछ और वजहें भी विदेश से जुड़ी हैं। अमेरिका में सूखे का प्रकोप गहराने की खबर है। इसके चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में मक्का, सोयाबीन और गेहूं की कीमतों में तेजी आनी शुरू हो चुकी है। इससे घरेलू बाजार में भी मक्का दो फीसद महंगा हो गया है। जानकारों की मानें तो खाद्य तेलों की कीमतें काफी ऊपर जा सकती हैं। रही सही कसर रुपये की कमजोरी निकाल रही है। यह अब भी साढ़े पचपन रुपये प्रति डॉलर के आसपास है। इन सब वजहों से रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के लिए ब्याज दरों में कटौती करना आसान नहीं होगा। केंद्रीय बैंक वार्षिक मौद्रिक नीति की पहली तिमाही समीक्षा इस माह के आखिरी दिन पेश करेगा। औद्योगिक सुस्ती से निजात पाने के लिए सरकार और उद्योग जगत रिजर्व बैंक से लगातार आग्रह कर रहे हैं कि ब्याज दरों को घटाया जाए। मगर महंगाई के मौजूदा सूरतेहाल के बीच दरें घटने की उम्मीद कम ही है।

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