Friday, June 29, 2012

विशेष राज्य का दर्जा मिले : नीतीश

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार, विशेष राज्य के लिए निर्धारित पांच मानदंडों में से तीन को पूरा करता है। विशेष राज्य का दर्जा हमारा हक है और यह मिलना ही चाहिए। इस मसले पर विशेषज्ञों की समिति बने। वे दो दिनों की दिल्ली यात्रा से लौटने के बाद गुरुवार को पटना हवाई अड्डा पर संवाददाताओं से बात कर रहे थे। उनकी बातों से जाहिर हुआ कि जदयू विशेष राज्य के मसले को बड़ा एजेंडा बना रहा है; आगामी लोकसभा चुनाव में यह पार्टी का खास मुद्दा होगा। पार्टी ने छह नवम्बर को अधिकार रैली का भी आयोजन किया है। बहरहाल, मुख्यमंत्री ने बताया कि कैसे बिहार, विशेष राज्य के पांच में से तीन मानदंडों पर खरा उतरता है। उन्होंने कहा-हमारे यहां जनसंख्या का घनत्व सर्वाधिक है। बिहार में पहाड़ी इलाका नहीं है मगर हर साल उत्तर बिहार के बड़े इलाके में बाढ़ आती है। यहां बाढ़ की विभीषिका से बड़ी तबाही होती है। मानव विकास का सूचकांक हो या प्रति व्यक्ति आय या निवेश, हम हर मामले में राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे हैं। राष्ट्रीय औसत पर पहुंचने के लिए विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना जरूरी है। उनके अनुसार बिहार का विकास दर अभी 13 प्रतिशत है जो केंद्र सरकार द्वारा भी घोषित है। यदि हम इसी दर पर चलते रहे तब 20 वर्षो के बाद ही हम राष्ट्रीय औसत के करीब पहुंच पाएंगे। हम तो पांच सालों के अंदर राष्ट्रीय औसत पर पहुंचना चाहते हैं। समावेशी विकास के लिए विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना जरूरी है तभी ऊंचाई और खाई की दूरी को पाटना संभव हो पाएगा। विशेष राज्य का दर्जा मिलने के बाद यहां निवेश के अवसर बढ़ेंगे। जो यहां पूंजी निवेश करेंगे उन्हें अतिरिक्त सहायता मिल सकेगी। केंद्रीय योजना में राज्य को कम पूंजी लगानी होगी और जो बचत होगा वह राज्य के विकास पर खर्च होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना आयोग ने बिहार के लिए चालू वित्तीय वर्ष में 28 हजार करोड़ के योजना आकार को स्वीकृति दी है।

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