सावन मास का विशेष महात्म्य बताया गया है। माह की पहली सोमवारी पर भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी। आध्यात्मिक दृष्टि से महीनों में सावन सर्वोत्तम माना गया है। इस मास में जगह-जगह घरों और शिव मंदिरों में रुद्री पाठ, रुद्राभिषेक, शिवार्चन आदि आयोजन किए जाएंगे।
सोमवारी पूजा सर्वोत्तम फलदायी
सावन के सोमवार पर की गई पूजा मनुष्य के लिए सर्वोत्तम फलदायी माना गया है। पंडित रमेश चंद्र के मुताबिक सावन मास में सर्व कल्याण करने वाले भगवान शिव का पूजन और व्रत शास्त्रों में धनधान्य, ऐश्वर्य के साथ ही मोक्ष प्राप्ति कराने वाला माना गया है। शिव पूजन के लिए सोमवार का दिन सर्वोत्तम माना गया है। सावन मास भगवान शिव का सबसे प्रिय मास है। बेल पत्रों से शिवार्चन का विशेष महत्व है।
पार्थिव पूजन का विशेष महत्व
सावन मास में पार्थिव पूजन (शिवार्चन) का भी विशेष महत्व बताया गया है। सावन सोमवार के दिन लघु रुद्र, महारुद्र, अतिरुद्र या शतरुद्री विधान से रुद्री पाठ के साथ रुद्राभिषेक करवाने से मनुष्य के समस्त कष्ट दूर होते हैं। इस माह में शिव तीर्थों, शिव पीठों का दर्शन करने से भी मनुष्य को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
जल्दी प्रसन्न होते हैं आशुतोष
भगवान शिव का एक नाम आशुतोष भी है। आशु का आशय है जल्दी और तोष का अर्थ है प्रसन्न। अर्थात जो जल्दी प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा करते हैं वह भगवान शिव हैं।
कहां क्या है तैयारी
भूईंफोड़ मंदिर: भारत सेवा श्रम संघ के स्वामी प्रयागात्मानंद जी ने कहा कि दर्शन के लिए सुबह 4 बजे मंदिर खुल जाएगा। दोपहर 12.30 बजे तक पूजा होगी। इसके बाद 3.30 बजे मंदिर खुलेंगे। रात्रि 9 बजे तक पूजा होगी। भीड़ को संभालने के लिए सेवादार लगे रहेंगे।
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श्रीश्री रत्नेश्वर मंदिर: पुराना बाजार स्थित श्रीश्री रत्नेश्वर मंदिर में विशेष पूजा की जाएगी। पंडित नंदजी उपाध्याय ने बताया कि रुद्रभिषेक के साथ ही रुद्री पाठ किया जाएगा। 11 पंडित इसमें शामिल होंगे। सुबह से पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो जाएगा।
शक्ति मंदिर: रोजाना की तरह ही सुबह में दर्शन के लिए पट खोल दिए जाएंगे। सोमवार को देखते हुए भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। दर्शन को आने लोगों के बीच प्रसाद वितरण किया जाएगा।
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